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Maharashtra Election: कभी नक्सलियों की कैद में बीते थे विधायक के 15 दिन, अब बेटी दे रही चुनौती

 

Maharashtra Election: कभी नक्सलियों की कैद में बीते थे विधायक के 15 दिन, अब बेटी दे रही चुनौती



Maharashtra Election :- महाराष्ट्र में इस वक्त चुनाव की सरगर्मी है। राज्य में 20 नवंबर को एक चरण में विधानसभा चुनाव होना है। नामांकन की प्रक्रिया 29 अक्तूबर को समाप्त होगी। नामांकन की प्रक्रिया पूरी होने के पहले ही अधिकतर सीटों के मुकाबलों की तस्वीर साफ हो चुकी है। कई सीटों पर चेहरों ने सियासी लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है। कई जगह पर परिवार के सदस्य ही आमने-सामने हैं। ऐसी ही एक विधानसभा सीट है अहेरी (एसटी)। माओवाद प्रभावित दक्षिण गडचिरोली जिले की आदिवासी बहुल अहेरी सीट का चुनावी मुकाबला पिता और बेटी के बीच होना है। इस चुनाव में कैबिनेट मंत्री धर्मराव आत्राम को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की तरफ से उतारा गया है, जबकि उनकी बेटी भाग्यश्री आत्राम को एनसीपी शरद गुट ने टिकट दिया है। इस सीट पर शाही आत्राम परिवार का ही दबदबा रहा है। इसी सीट से तत्कालीन कांग्रेस विधायक को नक्सलियों ने बंधक बना लिया था।

आज इसी अहेरी सीट की बात करेंगे। इसके चुनावी इतिहास की बात करेंगे। बात करेंगे यहां से जीते उम्मीदवारों की, पिछले चुनाव में इस सीट पर क्या हुआ था? इस बार कैसे समीकरण बन रहे हैं? ये भी जानेंगे…


पहले जान लेते हैं अहेरी सीट के बारे में :-

गडचिरोली जिले में तीन विधानसभा क्षेत्र पड़ते हैं, जिनमें से एक अहेरी भी है। अहेरी विधानसभा क्षेत्र में कुल 806353 मतदाता इस विधानसभा चुनाव में मतदान करने के लिए पात्र हैं। इनमें से 406726 लाख पुरुष और 399618 महिलाएं और नौ थर्ड जेंडर मतदाता हैं। अहेरी विधानसभा क्षेत्र में इस बार 950 मतदान केंद्र बनाए गए हैं।

अहेरी सीट के इतिहास की बात करें तो पहले इसका नाम सिंचोरा (एसटी) हुआ करता था। 2009 के विधानसभा चुनाव से यह सीट अहेरी के नाम से जाने जानी लगी। 1960 में महाराष्ट्र होने से पहले यह राज्य बॉम्बे कहलाता था जिसमें गुजरात भी शामिल था। देश की आजादी के बाद बॉम्बे प्रेसिडेंसी में पहली बार 1951 में विधानसभा चुनाव हुए। जब बॉम्बे का पहला विधानसभा चुनाव हुआ तब गडचिरोली जिले की अहेरी विधानसभा सीट भी अस्तित्व में नहीं थी। 


जब सिंचोरा सीट पर दो उम्मीदवार जीते:-

बॉम्बे का दूसरा विधानसभा चुनाव 1957 में हुआ। इस चुनाव में सिंचोरा सीट पर दो उम्मीदवारों को जीत मिली। निर्दलीय विश्वेश्वर राव आत्राम और प्रजा सोशलिस्ट पार्टी (पीएसपी) के प्रत्याशी वीके नारायणसिंह को जीत मिली थी। बता दें कि 1961 से पहले चुनावों में कुछ सीटों पर दो-दो विधायक या सांसद चुने गए थे। इस व्यवस्था को 1961 के दो-सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र (उन्मूलन) अधिनियम के जरिए खत्म कर दिया गया था। 

1962 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सिंचोरा पर एक बार नतीजा विश्वेश्वर राव के पक्ष में रहा। निर्दलीय उतरे विश्वेश्वर राव ने कांग्रेस के मुरली मनोहर राव को 18040 मत से शिकस्त दी।

1967 के चुनाव में सिंचोरा सीट पर निर्दलीय जेवाई सकहरे को जीत मिली। उन्होंने कांग्रेस के मुकुंदराव विठोबा अलोने को 1645 वोट से हराया।

1972 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर उतरे मुकुंदराव विठोबा अलोने को सफलता मिली। उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (खोबरागड़े गुट) के जमनादास खोबरागड़े को 
5069 मत से शिकस्त दी।

साल 1978 में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव हुए। इस चुनाव में निर्दलीय उतरे भगवानशाह मेश्राम ने सफलता हासिल की। मेश्राम ने कांग्रेस के उम्मीदवार तलंदी पेंटा रामा को 36384 वोट से हराया।


निर्विरोध जीत गए उम्मीदवार:-

साल 1980 में हुए विधानसभा चुनाव में सिंचोरा में कांग्रेस उम्मीदवार तलंदी पेंटा रामा निर्विरोध जीत गए।  
 
1985 में हुए चुनाव में सिंचोरा से निर्दलीय उम्मीदवार सत्यवानराव आत्राम को जीत मिली। उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार को महज तलंदी पेंटा रामा को 14441 वोट से हराया। 


जब नक्सलियों ने विधायक का अपहरण कर लिया:-

1990 के चुनाव में सिंचोरा सीट पर कांग्रेस के धर्मराव आत्राम को सफलता मिली। उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार सत्यवानराव आत्राम राजे को 3680 मत से शिकस्त दी। इस चुनाव के बाद महाराष्ट्र में एक ऐसी घटना घटी जिसने सबको चौंका दिया। 1991 की बात है, जब नक्सली आंदोलन अपने चरम पर था। महाराष्ट्र के मौजूदा मंत्री धर्मरावबाबा आत्राम, जो उस समय पहली बार कांग्रेस के विधायक बने थे, नक्सलियों द्वारा बंधक बना लिए गए थे। दरअसल, 1991 में चंद्रपुर में एक बड़े नक्सली सरगना शिवन्ना को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। नक्सलियों ने गडचिरोलीके शिरोंचा सीट से तत्कालीन कांग्रेस विधायक बाबा धर्मराव आत्राम का अपहरण कर लिया और बदले में शिवन्ना की रिहाई की मांग रखी। उस समय शरद पवार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे। धर्मराव की बेटी भाग्यश्री आत्राम के मुताबिक, शरद पवार ने ही उनके पिता की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की थी। एनसीपी नेता के इस भयावह अनुभव पर एक घंटे की डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाई गई है जिसका ट्रेलर इसी साल फरवरी में लांच किया गया था। इस दौरान गडचिरोली के घने जंगलों में बिताए उन भयावह दिनों को याद करते हुए आत्राम भावुक हो गए। 

एनसीपी नेता बताते हैं, 'निःसंदेह ये मेरे जीवन के सबसे खतरनाक दिन थे। मुझे 17 दिनों तक नक्सलियों ने बंधक बनाकर रखा था। दिन में आवाजाही प्रतिबंधित थी, इसलिए उन्होंने मुझे पूरी रात पैदल चलने को मजबूर किया। मेरी रिहाई के लिए सुरक्षा एजेंसियां उनके पीछे लगी हुई थीं, इसलिए नक्सलियों को रात में जगह बदलनी पड़ती थी। कई बार ऐसा हुआ जब मुझे लगा कि मेरा समय खत्म हो गया है।'


धर्मराव आत्राम को हार मिली:-

अब वापस आते हैं सीट के इतिहास पर, 1995 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सिंचोरा सीट पर नाग विदर्भ आंदोलन समिति के उम्मीदवार सत्यवानराव आत्राम को जीत मिली। उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी धर्मराव आत्राम को 42523 मत से चुनाव हरा दिया। 

1995 के बाद महाराष्ट्र में अगले विधानसभा चुनाव 1999 में हुए। इस चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के टिकट पर सत्यवानराव आत्राम को जीत हासिल हुई। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार धर्मराव आत्राम को महज 375 वोट से हराकर यह चुनाव जीता।


पहली बार एनसीपी को जीत मिली:-

2005 में सिंचोरा सीट के समीकरण पिछले चुनावों से काफी अलग थे। पहली बार इस सीट पर मुख्य मुकाबला राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच हुआ। चुनाव का परिणाम एनसीपी के पक्ष में रहा। पार्टी के टिकट पर उतरे धर्मराव आत्राम ने बसपा उम्मीदवार दीपक दादा आत्राम को 7367 वोट से हराया।

अब आता है 2009 का महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव जिसमें सिंचोरा सीट का नाम बदलकर अहेरी हो चुका था। नए स्वरूप में आई अहेरी (एसटी) की सियासी लड़ाई निर्दलीय उम्मीदवार दीपक मल्लाजी आत्राम के नाम रही। उन्होंने एनसीपी के टिकट पर उतरे धर्मराव आत्राम को 25197 मत से शिकस्त दी। 


भाजपा का खाता खुला:-

अब आता है 2014 का विधानसभा चुनाव जिसमें अहेरी (एसटी) सीट पर भाजपा का खाता खुला। अहेरी की सियासी लड़ाई भाजपा के उम्मीदवार अंबरीशराव आत्राम के नाम रही। अंबरीशराव ने एनसीपी के टिकट पर उतरे धर्मराव आत्राम को 19858 मत से हराया। 

2019 के विधानसभा चुनाव में अहेरी में मुकाबला भाजपा और फिर एनसीपी के बीच रहा। भाजपा ने अंबरीशराव को अपना उम्मीदवार बनाया तो एनसीपी के टिकट पर धर्मराव बाबा आत्राम उतरे। एनसीपी यह चुनाव 15458 मत से जीतने में सफल रही। भाजपा प्रत्याशी को 44555 वोट मिले जबकि एनसीपी प्रत्याशी को 60013 वोट मिले। 


शरद पवार का साथ छोड़ धर्मराव अजित पवार गुट से शामिल:-

महाराष्ट्र में एनसीपी के बंटवारे के बाद अजित पवार गुट सरकार में शामिल हो गया। इसके बाद धर्मराव आत्राम ने शरद पवार का साथ छोड़ दिया और अजित पवार के साथ चले गए। 2023 में धर्मराव आत्राम को महाराष्ट्र सरकार में मंत्री की जिम्मेदारी दी गई। उन्होंने शिंदे सरकार में खाद्य एवं औषधि (प्रशासन) मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री नियुक्त किया गया था।


इस बार कौन पिता-बेटी आमने-सामने :-

अब बात 2024 के चुनाव की कर लेते हैं। महाराष्ट्र की अहेरी (एसटी) सीट पर मुकाबला दिलचस्प माना जा रहा है। इस चुनाव में पिता और बेटी आमने-सामने हो सकते हैं। एनसीपी अजित पवार गुट ने कैबिनेट मंत्री धर्मराव बाबा आत्राम को अपना चेहरा बनाया है। वहीं एनसीपी शरद गुट धर्मराव आत्राम की बेटी भाग्यश्री आत्राम को टिकट दिया है। भाग्यश्री आत्राम वर्तमान में गडचिरोली जिला परिषद की अध्यक्ष हैं।विधानसभा चुनाव से ऐन पहले 12 सितंबर को भाग्यश्री शरद पवार के गुट में शामिल हो गई थीं। 


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