Why share market is falling? 4 सेशन में 1450 अंक टूटा सेंसेक्स, बाजार में इस गिरावट की सबसे बड़ी वजह जानिए
Why share market is falling? 4 सेशन में 1450 अंक टूटा सेंसेक्स, बाजार में इस गिरावट की सबसे बड़ी वजह जानिए
“Why Sensex Fell 1450 Points in 4 Sessions – Real Reasons”:- हफ्ते के पहले कारोबारी सेशन में भी गिरावट देखने को मिली. सेंसेक्स में बीते 4 सेशन में करीब 1450 अंकों से ज्यादा की कमजोरी दिखी. लेकिन, सोमवार को निफ्टी भी 25,000 के स्तर को बचाने में कामयाब रहा. आज लगातार चौथे सेशन रहा, जब बाजार में बिकवाली का दबाव दिखा. इन चार सेशन में सेंसेक्स करीब 2% और निफ्टी भी लगभग 2% गिर चुका है. हालांकि, इस दौरान मिडकैप और स्मॉलकैप सेगमेंट ने बेहतर प्रदर्शन किया. BSE मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में भी दबाव दिखा.
Geojit Investments के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, "बाजार को उम्मीद है कि भारत-अमेरिका ट्रेड डील जल्द होगा, जिसमें भारत के लिए टैरिफ 20% के आसपास हो सकता है. अगर ऐसा हुआ, तो बाजार को भावनात्मक बढ़ावा मिलेगा. इस मोर्चे पर कोई निराशा बाजार को और नीचे खींच सकती है."
आज बाजार में गिरावट की सबसे बड़ी वजह जानिए:-
1. ट्रेड वॉर की चिंता
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों में नई आक्रामकता से संकेत मिलता है कि अमेरिका और उसके ट्रेड पार्टनर के बीच ट्रेड वॉर लंबा चल सकता है. ग्लोबल आर्थिक ग्रोथ पर इससे गहरा असर दिख सकता है. ट्रंप ने कनाडा से आयात पर 35% टैरिफ के एलान के बाद मेक्सिको और यूरोपीय यूनियन (EU) से आयात पर 1 अगस्त से 30% टैरिफ का एलान किया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका भारत के साथ एक अंतरिम व्यापार समझौता पर विचार कर रहा है, जिससे टैरिफ 20% से कम हो सकता है.
आज बाजार में गिरावट की सबसे बड़ी वजह जानिए:-
1. ट्रेड वॉर की चिंता
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों में नई आक्रामकता से संकेत मिलता है कि अमेरिका और उसके ट्रेड पार्टनर के बीच ट्रेड वॉर लंबा चल सकता है. ग्लोबल आर्थिक ग्रोथ पर इससे गहरा असर दिख सकता है. ट्रंप ने कनाडा से आयात पर 35% टैरिफ के एलान के बाद मेक्सिको और यूरोपीय यूनियन (EU) से आयात पर 1 अगस्त से 30% टैरिफ का एलान किया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका भारत के साथ एक अंतरिम व्यापार समझौता पर विचार कर रहा है, जिससे टैरिफ 20% से कम हो सकता है.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत की अर्थव्यवस्था, जो FY26 में 6% से ज्यादा ग्रोथ की राह पर है. ग्लोबल स्तर पर उथल-पुथल से पूरी तरह बचना मुश्किल है.
2. लार्ज-कैप से मिड और स्मॉल-कैप में पैसा
एक्सपर्ट्स का कहना है कि बाजार में कमजोरी का बड़ा कारण रिटेल निवेशकों का मिड और स्मॉल-कैप सेगमेंट में बढ़ता रुझान है. इनमें बेहतर कमाई की उम्मीद है. रिटेल निवेशकों की बढ़ती भागीदारी के कारण छोटी अवधि में ब्रॉडर मार्केट बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं. भारत में रिटेल निवेशकों की संख्या बढ़ रही है. अब 22 करोड़ से ज्यादा निवेशक रजिस्टर्ड हैं, और हर हफ्ते करीब छह लाख नए निवेशक जुड़ रहे हैं. यह मिड और स्मॉल-कैप शेयरों में निरंतर रुचि के लिए अच्छा संकेत है."
3. विदेशी फंड्स का आउटफ्लो
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) चार महीने तक खरीदारी के बाद भारतीय शेयरों में बिकवाली दिखी है. इससे बेंचमार्क पर दबाव है. FPI की लार्ज-कैप में ज्यादा हिस्सेदारी है. आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में अब तक (11 तारीख तक) FPI ने कैश सेगमेंट में 10,000 करोड़ रुपये से अधिक के भारतीय शेयर बेचे हैं.
4. महंगे वैल्युएशन की चिंता
Q1 तिमाही में मिले-जुले नतीजों के बीच निवेशक भारतीय शेयर बाजार के उच्च वैल्युएशन को लेकर चिंतित हैं. निफ्टी का मौजूदा प्राइस - अर्निंग्स रेश्यो (PE) 22.6 है, जो इसके एक साल के औसत PE 22.2 से अधिक है.
2. लार्ज-कैप से मिड और स्मॉल-कैप में पैसा
एक्सपर्ट्स का कहना है कि बाजार में कमजोरी का बड़ा कारण रिटेल निवेशकों का मिड और स्मॉल-कैप सेगमेंट में बढ़ता रुझान है. इनमें बेहतर कमाई की उम्मीद है. रिटेल निवेशकों की बढ़ती भागीदारी के कारण छोटी अवधि में ब्रॉडर मार्केट बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं. भारत में रिटेल निवेशकों की संख्या बढ़ रही है. अब 22 करोड़ से ज्यादा निवेशक रजिस्टर्ड हैं, और हर हफ्ते करीब छह लाख नए निवेशक जुड़ रहे हैं. यह मिड और स्मॉल-कैप शेयरों में निरंतर रुचि के लिए अच्छा संकेत है."
3. विदेशी फंड्स का आउटफ्लो
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) चार महीने तक खरीदारी के बाद भारतीय शेयरों में बिकवाली दिखी है. इससे बेंचमार्क पर दबाव है. FPI की लार्ज-कैप में ज्यादा हिस्सेदारी है. आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में अब तक (11 तारीख तक) FPI ने कैश सेगमेंट में 10,000 करोड़ रुपये से अधिक के भारतीय शेयर बेचे हैं.
4. महंगे वैल्युएशन की चिंता
Q1 तिमाही में मिले-जुले नतीजों के बीच निवेशक भारतीय शेयर बाजार के उच्च वैल्युएशन को लेकर चिंतित हैं. निफ्टी का मौजूदा प्राइस - अर्निंग्स रेश्यो (PE) 22.6 है, जो इसके एक साल के औसत PE 22.2 से अधिक है.
Disclaimer: शेयर बाजार में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है. निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें

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