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Ratan Tata: कहानी Ratan Tata के बदले की- जब उन्होंने फोर्ड के चेयरमैन को दिखाई टाटा की पावर

 

Ratan Tata: कहानी Ratan Tata के बदले की- जब उन्होंने फोर्ड के चेयरमैन को दिखाई टाटा की पावर



वर्तमान में टाटा मोटर्स भारत की अग्रणी कार निर्माता कंपनियों में से एक है. लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने से पहले कंपनी ने काफी संघर्ष और चुनौतियों का सामना किया. टाटा मोटर्स को अपने पैसेंजर कार बिजनेस को बेचने तक का विचार करना पड़ा, जब कंपनी ने भारी नुकसान का सामना किया.

90 के दशक के अंत में, टाटा मोटर्स ने अपनी पैसेंजर कार डिवीजन को अमेरिकी कार निर्माता फोर्ड को बेचने का विचार किया था. 1999 की एक बैठक में, फोर्ड के चेयरमैन बिल फोर्ड ने रतन टाटा के पैसेंजर कार व्यवसाय पर टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने अपमानजनक रूप से कहा कि वे टाटा की कार डिवीजन खरीदकर उन पर अहसान कर रहे हैं. उस समय रतन टाटा और उनकी टीम चुपचाप भारत लौट आई.

भारत लौटने के बाद, रतन टाटा ने अपनी कार डिवीजन को सुधारने का फैसला किया, बजाय इसे बेचने के. उनके इस निर्णय का परिणाम यह हुआ कि टाटा मोटर्स ने धीरे-धीरे अपने कार बिजनेस को पुनर्जीवित किया, और 2008 तक टाटा मोटर्स भारत में एक सफल और लोकप्रिय ब्रांड बन गया.

रतन टाटा ने 2008 में फोर्ड की बेहतरीन ब्रांड्स, जगुआर और लैंड रोवर, को खरीदने की पेशकश की. इस समय, बिल फोर्ड ने खुद कहा कि टाटा उनकी कंपनी को खरीदकर उन पर उपकार कर रहे हैं. इन दोनों ब्रांड्स के टाटा के अंतर्गत आने के बाद, उन्होंने भारतीय बाजार में जबरदस्त सफलता हासिल की.

आखिरकार, फोर्ड को भारतीय बाजार से बाहर निकलना पड़ा, और टाटा मोटर्स ने फोर्ड की भारतीय यूनिट पर अधिकार कर लिया. रतन टाटा ने फोर्ड को उसी तरह अपमानित करने के बजाय अपने कामों से जवाब दिया और अपनी सफलता से अपनी जगह साबित की.




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