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Stock Market Crash: बड़े-बड़े हादसे झेल चुका है शेयर बाजार, 2-5 फीसदी की गिरावट से क्या डरना !

 

Share Market Crash: बड़े-बड़े हादसे झेल चुका है शेयर बाजार, 2-5 फीसदी की गिरावट से क्या डरना !



Stock Market Crash:- बाजार में गिरावट जारी है. FII बिकवाली, दूसरी तिमाही के खराब नतीजे और ग्लोबल अनिश्चितताओं के बीच लगातार पांचवें सत्र में सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट दर्ज की गई. बाजार की इस गिरावट से लोगों में डर का माहौल है. लागों के रिटर्न में गिरावट देखने को मिल रही है. हालांकि बाजार का जानकारों का कहना है कि बाजार की इस गिरावट से डरने की आवश्यकता नहीं हैं क्योंकि पहले भी बाजार कई बड़ें हादसों से गुजरा है.

शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव चलता रहता है. पहले भी कई बार ऐसे मौके आए जब बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिली. इन गिरावट से निवेशकों को कुछ ही समय में नुकसान उठाना पड़ा है. आमतौर पर शेयर बाजार में गिरावट को इंडेक्स में दो अंकों की तेज गिरावट के रूप में परिभाषित किया जाता है. हालांकि बाजार हमेशा उबरते रहे हैं, लेकिन कभी-कभी, गिरावट का असर सालों तक रहता है.


बाजार ने दिया रिटर्न:-

कई बड़े हादसों के बाद भी निफ्टी ने पिछले 20 सालों में 16 फीसदी CAGR रिटर्न दिया है. सेंसेक्स ने 16 फीसदी का CAGR रिटर्न दिया है. मिडकैप CAGR रिटर्न 17 फीसदी और स्मॉलकैप CAGR रिटर्न 18 फीसदी रहा है. इन हादसों में 2023 में इजराइल-हमास, यूक्रेन-रूस युद्ध, 2020 में कोविड महामारी, 2019 में एनडीए का दूसरा कार्यकाल, 2017 में GST लागू करना, नोटबंदी जैसी कई घटनांए शामिल है, जिनका असर शेयर बाजार पर देखने को मिला.

निफ्टी        CAGR:  +16%
सेंसेक्स       CAGR:  +16%
मिडकैप     CAGR:  +17%
स्मॉलकैप    CAGR:  +18%


2008 के फाइनेंशियल क्राइसिस:-

2008 के फाइनेंशियल क्राइसिस ने कारोबार, इकोनॉमी और शेयर बाजारों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला. 21 जनवरी 2008 को सेंसेक्स में लगभग 1408 अंकों की गिरावट आई, जिससे निवेशकों की वेल्थ में बड़ी गिरावट आई. इस दिन को ब्लैक मंडे के रूप में जाना जाता है और एनालिस्ट ने इस गिरावट के लिए कई कारणों को जिम्मेदार ठहराया है, जिनमें ग्लोबल इन्वेस्टर के कॉन्फिडेंस में बदलाव, अमेरिका की अर्थव्यवस्था में मंदी आने का व्यापक डर, अमेरिका में ब्याज दरों में गिरावट, कमोडिटी बाजारों में अस्थिरता शामिल थी. 2008 के अंत तक सेंसेक्स लगभग 20,465 अंकों से गिरकर 9716 अंकों पर आ गया था. सितंबर 2010 में सेंसेक्स ने आखिरकार 20,000 अंक को फिर से पार कर लिया.


Demonetization 2016:-

2015-16 दुनिया भर के शेयर बाजारों के लिए मुश्किल भरा दौर था. भारत में सेंसेक्स में गिरावट जारी रही. फरवरी 2016 तक यह सिर्फ़ 11 महीनों में ही लगभग 26 फीसदी गिर गया था. इसका मुख्य कारण भारतीय बैंकों का बहुत अधिक NPA और ग्लोबल वीकनेस थी. नवंबर 2016 तक सरकार द्वारा नोटबंदी के जरिए काले धन पर नकेल कसने के बाद लोगों ने बेतहाशा बिकवाली की, जिसके कारण सेंसेक्स में 6 फीसदी की गिरावट आई. इसके साथ ही अन्य एशियाई बाजारों में भी गिरावट देखने को मिली.


कोविड महामारी:-

2020 से ही में कोविड-19 महामारी के प्रकोप के कारण दुनिया भर में लॉकडाउन लगा और ग्लोबल और भारतीय बाजारों में भारी गिरावट आई. जिस दिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वायरस को महामारी घोषित किया, उसके एक सप्ताह के भीतर सेंसेक्स 42,273 अंक से गिरकर 28,288 अंक पर आ गया.


2023 में इजराइल-हमास वॉर:-

2023 में इजराइल-हमास वॉर के कारण शेयर बाजारों में बड़ी गिरावट देखने को मिली. इस घटना ने जियोपॉलिटिकल टेंशन को बढ़ा दिया है, साथ ही कच्चे तेल की कीमतों में उछाल और ग्लोबल शेयर बाजारों में अस्थिरता भी आई.


1993 के बॉम्बे ब्लास्ट:-

1993 के बॉम्बे बम धमाकों ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के बाजार हिस्से को सीधे तौर पर प्रभावित नहीं किया, लेकिन हमलों के दिन नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के साथ-साथ बीएसई भी बंद हो गया था.


कारगिल वॉर:-

भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल संघर्ष के बाद भी 1999में बाजारों में भारी गिरावट देखी गई हालांकि, बाजारों में तेजी से उछाल आया क्योंकि यह अहसास हो गया था कि यह संघर्ष थोड़े समय तक चलने वाला है.




Disclaimer: शेयर बाजार में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है. निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.

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