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US Presidential Election: कैसा रहा चुनावों का बाजारों पर असर, क्या कहते हैं आंकड़े?

 

US Presidential Election: कैसा रहा चुनावों का बाजारों पर असर, क्या कहते हैं आंकड़े?



US Presidential Election:- अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान की तारीख करीब आ गई है इसी के साथ ही दुनिया भर के बाजारों और जानकारों की नजर इन चुनावों पर बनी हुई है. दरअसल अमेरिकी सरकार की पॉलिसी का असर दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं पर देखने को मिलता है और सरकार की पॉलिसी क्या रहेगी इसका अंदाजा इस बात से मिलेगा कि चुनाव कौन जीतता है. फिलहाल चुनाव की रेस में लगे उम्मीदवारों में किसके जीतने के मौके ज्यादा हैं इसको लेकर तस्वीर साफ नहीं है और इसी वजह से बाजार में अनिश्चितता बनी हुई है.  वाइस प्रेजीडेंट और डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस और पूर्व राष्टपति और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप अब तक के अनुमानों मे कांटे की टक्कर में बने हुए हैं. आइये एक नजर डालते हैं कि इससे पहले हुए चुनावों के नतीजों की अमेरिका बाजार और अर्थव्यवस्था पर क्या असर रहा है.


क्या कहते हैं पिछले आंकड़े

पिछले 5 चुनावों के आंकड़ों पर नजर डालें तो नतीजों के बाद बाजार में बढ़त देखने को मिली है. वहीं चुनावों से पहले उतार-चढ़ाव हावी रहा है. अमेरिकी चुनाव में डेमोक्रेट जीतें या फिर रिपब्लिकन, लंबी अवधि में बाजार में मजबूती रही है. हालांकि आंकड़ों के अनुसार डेमोक्रेट की जीत पर बाजार ने बेहतर रिटर्न दिया है.

शिकागो यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च के मुताबिक डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति के कार्यकाल में अमेरिकी अर्थव्यवस्था की औसत जीडीपी ग्रोथ 4.86 फीसदी रही है वहीं रिपब्लिकन प्रेजीडेंट के कार्यकाल में ये औसत 1.7 फीसदी रहा है. इस रिसर्च में 1927 से 2015 तक के आंकड़े शामिल किए गए हैं. इस दौरान यूएस शेयर मार्केट का इक्विटी रिस्क प्रीमियम रिपब्लिकन प्रेजीडेंट के कार्यकाल के मुकाबले डेमोक्रेटिक प्रेजीडेंट के कार्यकाल में करीब 11 फीसदी ऊपर रहा है. वहीं साल 1999 से 2015 के बीच ये अंतर बढ़कर 17 फीसदी से ज्यादा रहा है.

इक्विटी रिस्क प्रीमियम वो रिटर्न होता है जो शेयर में निवेश करने पर रिस्क फ्री रेट ( जैसे सेविंग्स अकाउंट में निवेश) से अधिक मिलता है. यानि अगर एक शख्स बैंक में पैसा जमा करता है वहीं दूसरा शख्स उतने पैसे को शेयर बाजार में लगाता है तो दूसरे शख्स को पहले शख्स के मुकाबले मिलने वाला अतिरिक्त रिटर्न रिस्क प्रीमियम होता है. अमेरिका में डेमोक्रेटिक प्रेजीडेंट के कार्यकाल में ये रिटर्न अधिक रहे हैं.


कैसा रहा बाजार का असर

साल 2020 के चुनाव में अक्टूबर की शुरुआत में डाओ जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज 28 हजार के करीब था. नतीजे आने के बाद नवंबर के अंत में इंडेक्स पहली बार 30 हजार के ऊपर बंद हुआ. महामारी के बीच वैक्सीन के डेवलपमेंट और बाइडेन सरकार के द्वारा राहत पैकेज की उम्मीद से बाजार बढ़ा था.  अक्टूबर 2020 से मार्च 2021 के बीच इंडेक्स करीब 15 फीसदी बढ़ गया.

2007-08 की फाइनेंशियल क्राइसिस के असर के बीच डेमोक्रेट उम्मीदवार बराक ओबामा के जीत के बाद नतीजे के दिन बाजार में 4.08 फीसदी की तेजी देखने को मिली थी जो कि बीते 5 चुनाव के लिए किसी भी इलेक्शन डे की सबसे बड़ी तेजी थी.

क्या है नतीजों का असर

बाजार के जानकारों की माने तो डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन दोनों ही आर्थिक नीतियों को लेकर खास रुख रखते हैं और मोटे तौर पर बाजार डेमोक्रेटिक उम्मीदवार को लेकर सहज दिखता है. हालांकि आंकड़ों से साफ है कि लंबी अवधि में बाजार अपने संकेतों के आधार पर ही गति बनाता है ऐसे में शुरुआती दौर में जब नीतियों को लेकर स्थिति अस्पष्ट होती है तब बाजार किस दल की जीत होती है इससे ही संकेत लेने की कोशिश करता है और उसी हिसाब से रिएक्ट करता है.



Disclaimer: शेयर बाजार में निनिवेश बाज़ार के जोखिमों के अधीन है. निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श करें.

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