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Stock Crash: ट्रंप के ऑटो कंपनियों पर 25% टैरिफ से भारत की कंपनियों के शेयर धड़ाम- अब आगे क्या होगा

 

Stock Crash: ट्रंप के ऑटो कंपनियों पर 25% टैरिफ से भारत की कंपनियों के शेयर धड़ाम- अब आगे क्या होगा



टाटा मोटर्स, भारत फोर्ज और सोना BLW जैसी कंपनियों पर इस फैसले का सीधा असर होगा. खबर के बाद 27 मार्च 2025 को टाटा मोटर्स, सोना ब्लू प्रिसीजन फोर्जिंग्स और संवर्धन मदरसन के शेयरों में 27 मार्च को 7 फीसदी तक की गिरावट आई, क्योंकि निवेशकों ने ऑटो शेयरों पर ब्रेक लगा दिया, क्योंकि वे ट्रम्प द्वारा अमेरिका में विदेशी कार आयात पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने से घबरा गए. आइए विस्तार से जानते है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऑटोमोबाइल आयात पर 25% टैरिफ (शुल्क) लगाने का एलान किया है. इस फैसले का असर ग्लोबल ऑटो इंडस्ट्री के साथ-साथ भारतीय ऑटो कंपनियों पर भी गहराई से पड़ सकता है, खासकर उन कंपनियों पर जिनकी अमेरिकी बाजार में हिस्सेदारी और निर्भरता ज्यादा है.

भारत की किस कंपनी पर क्या असर होगा- Tata Motors (JLR)-33% JLR की बिक्री अमेरिका से होती है, जो पूरी तरह से UK से एक्सपोर्ट होती है. JLR, टाटा मोटर्स के कुल आमदनी का 70% हिस्सा है, इसलिए कंपनी का 20% से ज्यादा कंसॉलिडेटेड रेवेन्यू खतरे में है.

Motherson Sumi-अमेरिका में सप्लाई सीधे नहीं, लेकिन मैक्सिको और जर्मनी के प्लांट्स के जरिए जो वहां एक्सपोर्ट करते हैं.अमेरिकी एक्सपोजर: 6-7% ग्लोबल रेवेन्यू.

Eicher Motors (Royal Enfield)-अगर मोटरसाइकिलों को टैरिफ में शामिल किया गया, तो US बिक्री कुल वॉल्यूम का सिर्फ 2% है. असर सीमित रहेगा.

कमर्शियल व्हीकल्स और ट्रक कंपनियां-Bharat Forge: 40% स्टैंडअलोन रेवेन्यू नॉर्थ अमेरिका से आता है, जिनमें मैक्सिको के जरिए बड़ी मात्रा में एक्सपोर्ट शामिल हैं.

Ramkrishna Forgings: 26% स्टैंडअलोन रेवेन्यू नॉर्थ अमेरिका से जुड़ा है, जिसमें मैक्सिकन चैनल शामिल है.

ऑटो पार्ट्स कंपनियां-Balkrishna Industries: अमेरिका से 17% रेवेन्यू आता है. Sona BLW
भारी जोखिम में, क्योंकि कंपनी का 43% रेवेन्यू अमेरिकी बाजार से आता है.

अब आगे क्या?फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि ट्रंप सरकार की टैरिफ नीति में किस-किस कैटेगरी को शामिल किया जाएगा — क्या यह सिर्फ कारों पर लागू होगा, या मोटरसाइकिल, ट्रक और ऑटो पार्ट्स को भी कवर करेगा? सीएनबीसी आवाज़ पर एक्सपर्ट्स ने बताया कि अगर टैरिफ की परिभाषा व्यापक हुई, तो भारतीय ऑटो एक्सपोटर्स और सप्लायर्स को बड़ा झटका लग सकता है. निवेशकों और कंपनियों को स्पष्टता का इंतज़ार है कि नए शुल्क किन-किन प्रोडक्ट्स पर लागू होंगे.

अगर टैरिफ पूरी तरह लागू हुआ तो यह भारतीय ऑटो कंपनियों के लिए सबसे बड़ा बाहरी झटका हो सकता है. आने वाले हफ्तों में कंपनियों की रणनीति, सप्लाई चेन और अमेरिकी बाजार के लिए नए रास्ते तलाशना ज़रूरी होगा.

Disclaimer: शेयर बाजार में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है. निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें. 

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