IPO: एक और मेगा आईपीओ कतार में, 15 हजार करोड़ रुपये से बड़ा इश्यू संभव, पढ़ें पूरी जानकारी
IPO News : एक और मेगा आईपीओ कतार में, 15 हजार करोड़ रुपये से बड़ा इश्यू संभव, पढ़ें पूरी जानकारी
Tata Capital IPO News:- आईपीओ मार्केट में जल्द ही एक मेगा आईपीओ उतर सकता है. टाटा ग्रुप ने अपनी फाइनेंशियल सर्विस इकाई टाटा कैपिटल के आईपीओ के लिए सेबी के पास गोपनीय प्री-फाइलिंग रूट के जरिए दस्तावेज दाखिल किए हैं. मनीकंट्रोल ने सूत्रों के हवाले से ये जानकारी दी है. अनुमान के मुताबिक ये इश्यू 15,000 करोड़ रुपये से अधिक का हो सकता है.
टाटा कैपिटल एक एनबीएफसी है और टाटा संस की सब्सिडियरी है. इससे पहले आई जानकारी के मुताबिक टाटा कैपिटल ने 10 इनवेस्टमेंट बैंकों को इस मेगा लिस्टिंग के लिए सलाहकार के रूप में नियुक्त किया है. मनीकंट्रोल की ही पिछली रिपोर्ट के अनुसार, कोटक महिंद्रा कैपिटल, सिटी, जेपी मॉर्गन, एक्सिस कैपिटल, आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज, एचएसबीसी सिक्योरिटीज, आईआईएफएल कैपिटल, बीएनपी परिबास, एसबीआई कैपिटल और एचडीएफसी बैंक को साथ लिया गया है.
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सूत्रों के हवाले से मिली इस खबर की फिलहाल पुष्टि नहीं हुई है. इससे पहले 25 फरवरी को, टाटा कैपिटल बोर्ड ने आईपीओ योजना को मंजूरी दी और कहा कि इसमें 23 करोड़ नए जारी शेयरों के साथ मौजूदा शेयरधारकों द्वारा इक्विटी शेयरों की बिक्री का प्रस्ताव शामिल होगा. कंपनी ने कहा था कि आईपीओ बाजार की स्थितियों और जरूरी मंजूरियों पर निर्भर है. 31 मार्च, 2024 तक टाटा संस का टाटा कैपिटल लिमिटेड में 92.83 प्रतिशत हिस्सेदारी थी.
टाटा ग्रुप कंपनी की लिस्टिंग रिजर्व बैंक के नियमों के अनुसार है जहां अपर लेयर एनबीएफसी को कैटेगरी में नोटिफाई किए जाने के 3 साल के अंदर बाजार में लिस्ट होना अनिवार्य है. टाटा कैपिटल फाइनेंशियल सर्विसेज, जो जनवरी 2024 में टाटा कैपिटल के साथ विलय हो गई इस कैटेगरी में शामिल है.
क्या है IPO via confidential route
आईपीओ लाने वाली कंपनी को अपने कारोबार से जुड़े अहम आंकड़े दिए गए फॉर्मेट में सेबी के पास भेजने होते हैं जो पब्लिक के सामने लाए जाते हैं जिससे निवेशक ज्यादा सही फैसला ले सकें. लेकिन कई बार कंपनियां किसी न किसी वजह से इश्यू या इश्यू की समयसीमा को लेकर अनिश्चित होती हैं लेकिन सेबी के पास दस्तावेज देने से उनकी अहम कारोबारी जानकारियां सभी के सामने आ जाती हैं. जिससे उनके सामने दुविधा रहती है कि वो अनिश्चितता के बीच दस्तावेज दे या न दे.
इसी सब के बीच सेबी ने साल 2022 में इस सिस्टम को मंजूरी दी थी. इसके तहत अनिश्चितता में घिरी कंपनियां आईपीओ के लिए दस्तावेज दाखिल कर प्रक्रिया तो शुरू कर देती हैं लेकिन जानकारियां पब्लिक के सामने नहीं आती है. कंपनी चाहे तो अपनी अर्जी वापस ले सकती है या फिर आईपीओ लाने का फैसला करने पर इस फाइलिंग को पब्लिक कर सकती है और आईपीओ लाने का काम शुरू होता है.
इससे अनिश्चितता के बीच कंपनियों को कारोबार की जानकारियां पब्लिक के सामने आने के डर से राहत मिलती है और उनका समय भी बचता है क्योंकि गोपनीय तरीके से प्रक्रिया जारी रहती है.
इससे पहले टाटा प्ले, ओयो, स्विगी, विशाल मेगा मार्ट, क्रेडिला फाइनेंशियल सर्विसेज, इंदिरा आईवीएफ और फिजिक्सवाला भी इसी रूट के जरिए एप्लीकेश दे चुकी हैं.
आईपीओ लाने वाली कंपनी को अपने कारोबार से जुड़े अहम आंकड़े दिए गए फॉर्मेट में सेबी के पास भेजने होते हैं जो पब्लिक के सामने लाए जाते हैं जिससे निवेशक ज्यादा सही फैसला ले सकें. लेकिन कई बार कंपनियां किसी न किसी वजह से इश्यू या इश्यू की समयसीमा को लेकर अनिश्चित होती हैं लेकिन सेबी के पास दस्तावेज देने से उनकी अहम कारोबारी जानकारियां सभी के सामने आ जाती हैं. जिससे उनके सामने दुविधा रहती है कि वो अनिश्चितता के बीच दस्तावेज दे या न दे.
इसी सब के बीच सेबी ने साल 2022 में इस सिस्टम को मंजूरी दी थी. इसके तहत अनिश्चितता में घिरी कंपनियां आईपीओ के लिए दस्तावेज दाखिल कर प्रक्रिया तो शुरू कर देती हैं लेकिन जानकारियां पब्लिक के सामने नहीं आती है. कंपनी चाहे तो अपनी अर्जी वापस ले सकती है या फिर आईपीओ लाने का फैसला करने पर इस फाइलिंग को पब्लिक कर सकती है और आईपीओ लाने का काम शुरू होता है.
इससे अनिश्चितता के बीच कंपनियों को कारोबार की जानकारियां पब्लिक के सामने आने के डर से राहत मिलती है और उनका समय भी बचता है क्योंकि गोपनीय तरीके से प्रक्रिया जारी रहती है.
इससे पहले टाटा प्ले, ओयो, स्विगी, विशाल मेगा मार्ट, क्रेडिला फाइनेंशियल सर्विसेज, इंदिरा आईवीएफ और फिजिक्सवाला भी इसी रूट के जरिए एप्लीकेश दे चुकी हैं.
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