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Guru Purnima 2025: आज है गुरु पूर्णिमा, जानें पूजा और स्नान-दान का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

 Guru Purnima 2025: आज है गुरु पूर्णिमा, जानें पूजा और स्नान-दान का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि 


गुरु पूर्णिमा 2025 


Guru Purnima ka Bhashan Hindi Mein: 'गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरः। गुरु साक्षात् परब्रह्म, तस्मै श्री गुरवे नमः॥'

आदरणीय प्रधानाचार्य जी, शिक्षकों, अभिभावकों और मेरे प्यारे साथियों,

शास्त्रों में कही गई इन पंक्तियों के साथ सभी को मेरा नमस्कार।

आज हम यहां एक अत्यंत पावन अवसर - गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में एकत्रित हुए हैं। यह दिन गुरु के सम्मान, श्रद्धा और कृतज्ञता को समर्पित होता है। यह न केवल एक पर्व है, बल्कि हमारी भारतीय संस्कृति और परंपरा की आत्मा है।

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गुरु का स्थान

गुरु का स्थान

गुरु का स्थान हमारे जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। 'गु' का अर्थ है अंधकार और 'रु' का अर्थ है प्रकाश, अर्थात जो अज्ञान के अंधकार को दूर करके ज्ञान का प्रकाश फैलाए, वही गुरु कहलाता है।

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गुरु पूर्णिमा का दिन...

गुरु पूर्णिमा का दिन...

गुरु पूर्णिमा हर वर्ष आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। इसी दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था, जिन्होंने वेदों का संकलन किया और मानव समाज को अमूल्य ज्ञान दिया। इसलिए इस दिन को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। वेदव्यास को सर्वप्रथम गुरु माना जाता है।

गुरु गोविंद दोऊ खड़े...

गुरु गोविंद दोऊ खड़े...

'गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय ।
बलिहारी गुरु आपनो, जिन गोविंद दियो बताय।।'
इस दोहे में कबीरदास जी ने गुरु को भगवान से भी ऊंचा बताया है। कबीर कहते हैं कि गुरु और भगवान दोनों ही मेरे सम्मुख खड़े है, परन्तु गुरु ने ईश्वर को जानने का मार्ग दिखा दिया है।

गुरु पूर्णिमा स्पीच का समापन

गुरु पूर्णिमा स्पीच का समापन

हम भाग्यशाली हैं कि हमें ऐसे गुरु मिले हैं जो हमें सिर्फ किताबें नहीं, जीवन जीना सिखा रहे हैं। हमें चाहिए कि हम उनके बताए मार्ग पर चलें और जीवन में अच्छे इंसान बनें।

गुरु पूर्णिमा का यह पर्व हमेंविनम्रता और आभार का भाव सिखाता है। आइए, आज हम सभी अपने-अपने गुरुओं को नमन करते हुए यह संकल्प लें कि हम जीवन में सीखते रहेंगे, आगे बढ़ते रहेंगे, और अपने गुरुओं के आदर्शों को कभी नहीं भूलेंगे। सभी टीचर्स को मेरा प्रणाम।


कहने का भाव यह है कि जब आपके समक्ष गुरु और ईश्वर दोनों विद्यमान हो तो पहले गुरु के चरणों में अपना शीश झुकाना चाहिए, क्योंकि गुरु ने ही हमें भगवान के पास पहुँचने का ज्ञान प्रदान किया है।

गुरु हमें केवल पढ़ाते नहीं...

गुरु हमें केवल पढ़ाते नहीं...

गुरु हमें केवल पढ़ाते ही नहीं, वे हमारे चरित्र, सोच, नैतिकता और आत्मविश्वास का निर्माण करते हैं। वे हमें जीवन के कठिन रास्तों पर सही निर्णय लेना सिखाते हैं। चाहे वह हमारे स्कूल के शिक्षक हों, माता-पिता हों, या आध्यात्मिक गुरु — सभी का हमारे जीवन में विशेष स्थान होता है।

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