Hyundai India IPO GMP : पैसा लगाने से पहले पढ़ लीजिए कि कंपनी के लिए टेंशन क्या क्या हैं?
Hyundai India IPO: पैसा लगाने से पहले पढ़ लीजिए कि कंपनी के लिए टेंशन क्या क्या हैं?
Hyundai India IPO: हुंडई मोटर इंडिया का IPO 15 अक्टूबर से सब्सक्रिप्शन के लिए खुलने जा रहा है. यह भारत में अब तक का सबसे बड़ा पब्लिक इश्यू होगा. प्राइस बैंड के ऊपरी छोर पर, आईपीओ की कुल वैल्यू 27,870 करोड़ रुपए होगी, जो एलआईसी के 21,000 करोड़ रुपए से ज्यादा के साइज को पार कर जाएगी.
यह आईपीओ पूरी तरह से ऑफर-फॉर-सेल (OFS) होगा, जिसमें हुंडई मोटर इंडिया की पैरेंट कंपनी हुंडई मोटर 14.2 करोड़ शेयर या कुल इक्विटी का 17.5% हिस्सा बेचेगी. इस IPO के लिए कंपनी ने 1,865-1,960 रुपए प्रति इक्विटी शेयर का प्राइस बैंड तय किया है.
कंपनी के पास घरेलू ऑटोमोबाइल मार्केट में 14.6% हिस्सेदारी है. हुंडई मोटर इंडिया देश की दूसरी सबसे बड़ी कार मैन्युफैक्चरिंग कंपनी है. इसके अलावा यह पैसेंजर व्हीकल्स की दूसरी सबसे बड़ी निर्यातक भी है. लेकिन कंपनी का IPO भी रिस्क से अछूता नहीं है. आइये एक नजर डालते हैं इसके प्रमुख रिस्क पर -
इलेक्ट्रिक व्हीकल स्ट्रैटेजी
कंपनी ने कहा है कि इसकी लॉन्ग-टर्म कम्पेटिटिवेनेस इलेक्ट्रिक मार्केट के विकास पर निर्भर करती है, जिसमें लोगों की पसंद में ग्लोबल शिफ्ट और अलग-अलग क्षेत्राधिकारों में सरकारी पॉलिसीज का प्रभाव भी शामिल है. हुंडई इंडिया ने कहा, "इन मार्केट्स ट्रेंड्स को पहचानने और ईवी के लिए ग्राहकों की मांगों को पूरा न करने का ऑपरेशन्स पर खराब असर पड़ सकता है.
हमारे सेल वॉल्यूम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा नॉन-ईवी पैसेंजर व्हीकल्स की बिक्री से प्राप्त होता है और इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि हम अपनी ईवी स्ट्रैटेजी को सफलतापूर्वक और कॉस्ट-एफ्फिसिएंटली से अपना पाएंगे."
रॉयल्टी फीस
रॉयल्टी एग्रीमेंट के तहत हुंडई मोटर इंडिया की तरफ से प्रमोटर हुंडई मोटर कंपनी को देय रॉयल्टी फीस में कोई भी बढ़ोतरी प्रति शेयर इनकम सहित प्रॉफिटेबिलिटी मीट्रिक पर खराब असर डाल सकती है. इसमें कंपनी के एनुअल कंसोलिडेटेड टर्नओवर के 5% की लिमिट्स तक या उससे ज्यादा बढ़ोतरी शामिल है.
पैरेंट कंपनी पर निर्भरता : कंपनी ऑपरेशन्स के लिए अपनी पैरेंट कंपनी पर निर्भर है. इसमें पार्ट्स और मटेरियल्स (जैसे इंजन और ट्रांसमिशन असेंबली) और रिसर्च एंड डेवलपमेंट शामिल हैं. आरएचपी के अनुसार, हुंडई मोटर कंपनी और हुंडई मोटर ग्रुप की कंपनियों के साथ फर्म के संबंधों में कोई भी परेशानी उसके बिजनेस, रेप्युटेशन, फाइनेंशियल कंडिशन और ऑपरेशन्स पर खराब प्रभाव डाल सकता है.
कंपनी ने कहा है कि इसकी लॉन्ग-टर्म कम्पेटिटिवेनेस इलेक्ट्रिक मार्केट के विकास पर निर्भर करती है, जिसमें लोगों की पसंद में ग्लोबल शिफ्ट और अलग-अलग क्षेत्राधिकारों में सरकारी पॉलिसीज का प्रभाव भी शामिल है. हुंडई इंडिया ने कहा, "इन मार्केट्स ट्रेंड्स को पहचानने और ईवी के लिए ग्राहकों की मांगों को पूरा न करने का ऑपरेशन्स पर खराब असर पड़ सकता है.
हमारे सेल वॉल्यूम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा नॉन-ईवी पैसेंजर व्हीकल्स की बिक्री से प्राप्त होता है और इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि हम अपनी ईवी स्ट्रैटेजी को सफलतापूर्वक और कॉस्ट-एफ्फिसिएंटली से अपना पाएंगे."
रॉयल्टी फीस
रॉयल्टी एग्रीमेंट के तहत हुंडई मोटर इंडिया की तरफ से प्रमोटर हुंडई मोटर कंपनी को देय रॉयल्टी फीस में कोई भी बढ़ोतरी प्रति शेयर इनकम सहित प्रॉफिटेबिलिटी मीट्रिक पर खराब असर डाल सकती है. इसमें कंपनी के एनुअल कंसोलिडेटेड टर्नओवर के 5% की लिमिट्स तक या उससे ज्यादा बढ़ोतरी शामिल है.
पैरेंट कंपनी पर निर्भरता : कंपनी ऑपरेशन्स के लिए अपनी पैरेंट कंपनी पर निर्भर है. इसमें पार्ट्स और मटेरियल्स (जैसे इंजन और ट्रांसमिशन असेंबली) और रिसर्च एंड डेवलपमेंट शामिल हैं. आरएचपी के अनुसार, हुंडई मोटर कंपनी और हुंडई मोटर ग्रुप की कंपनियों के साथ फर्म के संबंधों में कोई भी परेशानी उसके बिजनेस, रेप्युटेशन, फाइनेंशियल कंडिशन और ऑपरेशन्स पर खराब प्रभाव डाल सकता है.
मैटेरियल कॉस्ट और सप्लाई
हुंडई मोटर्स इंडिया ने कहा कि वह पार्ट्स और मेटेरियल के लिए सीमित संख्या में सप्लायर्स पर निर्भर है. पार्ट्स और मैटेरियल की उपलब्धता में किसी भी तरह की रुकावट से ऑपरेशन्स पर खराब असर पड़ सकता है. इसके अलावा, ऑपरेशन्स के लिए जरूरी पार्ट्स और मेटेरियल की कीमतों में बढ़ोतरी का भी खराब असर पड़ सकता है.
एक्सपोर्ट बिजनेस
निर्यात बाजार तक पहुंचने में हुंडई मोटर कंपनी या हुंडई मोटर इंडिया की किसी भी विफलता या देरी का ऑपरेशन्स के परिणामों और संभावनाओं पर खराब प्रभाव पड़ सकता है.
कंपनी की कैपेसिटी
कंपनी ने कहा कि उसके मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स मौजूदा समय में हाई कैपेसिटी पर काम कर रहे हैं और जब तक वह तालेगांव मैन्युफैक्चरिंग प्लांट को समय पर या बिल्कुल भी चालू करके क्षमता बढ़ाने में सक्षम नहीं हो जाती, तब तक वह प्रोडक्ट्स की अतिरिक्त मांग को पूरा करने में कामयाब नहीं हो पाएगा.
कंपनी ने आगे कहा, "इसके अलावा, अगर हम अपने प्रोडक्ट्स की मांग को कम या ज्यादा आंकते हैं, तो हमारे मैन्युफैक्चरिंग प्लांट की क्षमता का इस्तेमाल कम या ज्यादा हो सकता है, जिससे हमारे मैन्युफैक्चरिंग प्रोग्राम और संबंधित लागत पर खराब प्रभाव पड़ सकता है."
एसयूवी की सेल
कंपनी भारत में एसयूवी मॉडल की बिक्री पर काफी हद तक निर्भर है. सरकारी नियमों, टैक्सेशन और इमिशन मानदंडों में बदलाव से बिक्री प्रभावित हो सकती है और भविष्य में SUV या किसी अन्य पैसेंजर व्हीकल मॉडल के निर्माण में किसी भी तरह की कमी या व्यवधान से ऑपरेशन्स पर खराब प्रभाव पड़ सकता है.
कानूनी कार्यवाही
आरएचपी के अनुसार, "हमारी कंपनी, हमारी एक सहायक कंपनी और हमारे प्रमोटर लंबित कानूनी कार्यवाही में शामिल हैं और इनमें से किसी भी कार्यवाही का कोई भी विपरीत परिणाम हमारे बिजनेस, रेप्युटेशन, फाइनेंसियल कंडीशंस और ऑपरेशन्स पर खराब प्रभाव डाल सकता है.
हुंडई मोटर्स इंडिया ने कहा कि वह पार्ट्स और मेटेरियल के लिए सीमित संख्या में सप्लायर्स पर निर्भर है. पार्ट्स और मैटेरियल की उपलब्धता में किसी भी तरह की रुकावट से ऑपरेशन्स पर खराब असर पड़ सकता है. इसके अलावा, ऑपरेशन्स के लिए जरूरी पार्ट्स और मेटेरियल की कीमतों में बढ़ोतरी का भी खराब असर पड़ सकता है.
एक्सपोर्ट बिजनेस
निर्यात बाजार तक पहुंचने में हुंडई मोटर कंपनी या हुंडई मोटर इंडिया की किसी भी विफलता या देरी का ऑपरेशन्स के परिणामों और संभावनाओं पर खराब प्रभाव पड़ सकता है.
कंपनी की कैपेसिटी
कंपनी ने कहा कि उसके मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स मौजूदा समय में हाई कैपेसिटी पर काम कर रहे हैं और जब तक वह तालेगांव मैन्युफैक्चरिंग प्लांट को समय पर या बिल्कुल भी चालू करके क्षमता बढ़ाने में सक्षम नहीं हो जाती, तब तक वह प्रोडक्ट्स की अतिरिक्त मांग को पूरा करने में कामयाब नहीं हो पाएगा.
कंपनी ने आगे कहा, "इसके अलावा, अगर हम अपने प्रोडक्ट्स की मांग को कम या ज्यादा आंकते हैं, तो हमारे मैन्युफैक्चरिंग प्लांट की क्षमता का इस्तेमाल कम या ज्यादा हो सकता है, जिससे हमारे मैन्युफैक्चरिंग प्रोग्राम और संबंधित लागत पर खराब प्रभाव पड़ सकता है."
एसयूवी की सेल
कंपनी भारत में एसयूवी मॉडल की बिक्री पर काफी हद तक निर्भर है. सरकारी नियमों, टैक्सेशन और इमिशन मानदंडों में बदलाव से बिक्री प्रभावित हो सकती है और भविष्य में SUV या किसी अन्य पैसेंजर व्हीकल मॉडल के निर्माण में किसी भी तरह की कमी या व्यवधान से ऑपरेशन्स पर खराब प्रभाव पड़ सकता है.
कानूनी कार्यवाही
आरएचपी के अनुसार, "हमारी कंपनी, हमारी एक सहायक कंपनी और हमारे प्रमोटर लंबित कानूनी कार्यवाही में शामिल हैं और इनमें से किसी भी कार्यवाही का कोई भी विपरीत परिणाम हमारे बिजनेस, रेप्युटेशन, फाइनेंसियल कंडीशंस और ऑपरेशन्स पर खराब प्रभाव डाल सकता है.
दो हफ्ते में 75% टूट गया ग्रे मार्केट प्रीमियम, चेक करें अब क्या है स्थिति?
Hyundai Motor India IPO GMP : देश का सबसे बड़ा आईपीओ अगले सप्ताह से निवेश के लिए ओपन हो रहा है। हम बात कर रहे हैं हुंडई मोटर इंडिया लिमिटेड आईपीओ की। हुंडई मोटर इंडिया का 25,000 करोड़ रुपये का आईपीओ निवेश के लिए मंगलवार, 15 अक्टूबर को ओपन होगा। निवेशक इस इश्यू में गुरुवार, 17 अक्टूबर तक पैसे लगा सकेंगे। एंकर निवेशकों के लिए यह आईपीओ सोमवार, 14 अक्टूबर को ओपन होगा। इसके लिए प्राइस बैंड तय हो गया है। हुंडई मोटर इंडिया लिमिटेड आईपीओ का प्राइस बैंड ₹1,865 से ₹1,960 प्रति शेयर के बीच तय किया गया है। बता दें कि यह भारत का सबसे बड़ा आईपीओ होगा। अभी तक भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की 21,000 करोड़ रुपये की शेयर बिक्री को सबसे बड़ा आईपीओ माना जाता है। हालांकि, ग्रे मार्केट में यह शेयर लगातार गिर रहा है और अब तक इसमें 70% की भारी गिरावट देखी गई।
लगातार गिर रहा GMP
इन्वेस्टरगेन.कॉम के अनुसार, हुंडई मोटर इंडिया आईपीओ जीएमपी आज 147 रुपये प्रीमियम पर है। आईपीओ के अपर प्राइस बैंड और ग्रे मार्केट में मौजूदा प्रीमियम को ध्यान में रखते हुए, हुंडई मोटर इंडिया के शेयर मूल्य की अनुमानित लिस्टिंग कीमत ₹2,107 प्रति शेयर हो सकती है। यह आईपीओ कीमत ₹147 से 7.5% अधिक है। बता दें कि ग्रे मार्केट कंपनी के शेयर लगातार गिर रहे हैं। आज ग्रे मार्केट में यह शेयर 147 रुपये के प्रीमियम पर उपलब्ध हैं, जबकि यह शेयर 7 अक्टूबर को ₹270 के प्रीमियम पर उपलब्ध था। 3 अक्टूबर को इसका जीएमपी ₹360 और 28 सितंबर को इसका जीएमपी ₹500 था। यानी कि ग्रे मार्केट में इसका भाव अब तक 70% टूट चुका है।
(Disclaimer: शेयर बाजार में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है. निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें)
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