RBI Policy: बुधवार को होगा पॉलिसी पर एलान, ब्याज दरें घटने को लेकर क्या हैं अनुमान ?
RBI Policy: बुधवार को होगा पॉलिसी पर एलान, ब्याज दरें घटने को लेकर क्या हैं अनुमान ?
प्रमुख दरों को लेकर रिजर्व बैंक की अहम समीक्षा बैठक सोमवार से शुरू हो गई है. केंद्रीय बैंक 9 अक्टूबर को दरों पर बैठक के फैसले का एलान करेगा. फेडरल रिजर्व ने पिछली बैठक में ही दरों में कटौती की शुरुआत की थी ऐसे में अब नजरें रिजर्व बैंक पर है कि क्या वो इस समीक्षा में दरों में नरमी की शुरुआत करेगा और अगर दरें स्थिर रहती हैं तो बाजार ये संकेत देखेगा कि दरों में कटौती की शुरुआत कब से हो सकती है. पढ़ें फैसले को लेकर क्या हैं अनुमान और इन कदमों का क्या होगा असर
क्या है फैसले को लेकर अनुमान
एसबीआई के चेयरमैन सी एस सेट्टी का मानना है कि खाद्य महंगाई की अनिश्चितता को देखते हुए फिलहाल अनुमान है कि साल 2024 में दरों में नरमी नहीं होगी. उन्होने अनुमान दिया कि दरों में कटौती के लिए चौथी तिमाही यानि जनवरी मार्च 2025 का इंतजार करना होगा.
वहीं रॉयटर्स के एक पोल में अनुमान दिया गया है कि अक्टूबर की पॉलिसी समीक्षा में दरों में बदलाव की संभावना नहीं हैं वहीं पोल में उम्मीद है कि दरों में कटौती दिसंबर की समीक्षा से शुरू हो सकती है हालांकि कटौती की रफ्तार तेज नहीं रहेगी और 6 महीने के दौरान दरें आधा फीसदी ही घट सकती हैं.
रॉयटर्स के सर्वे में शामिल करीब 80 फीसदी मान रहे हैं इस बैठक में रिजर्व बैंक प्रमुख दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा. हालांकि बाकी बचे जिन अर्थशास्त्रियों को कटौती की उम्मीद है उसमें से 12 इकोनॉमिस्ट मान रहे हैं कि अक्टूबर समीक्षा में दरें 0.25 फीसदी घट सकती हैं. वहीं एक ने 0.35 फीसदी की कटौती का अनुमान दिया है. रिजर्व बैंक ने दरों में फरवरी 2023 के बाद से कोई बदलाव नहीं किया है.
वहीं ब्लूमबर्ग के सर्वे में शामिल 13 में से सिर्फ 3 ने दरें घटने का अनुमान दिया है और उम्मीद जताई है कि अक्टूबर में चौथाई फीसदी की कटौती हो सकती है.
क्या होगा दरों में कटौती का असर
दरों में बदलाव का सीधा असर कर्ज की दरों पर देखने को मिलता है. अगर दरें घटती हैं तो कर्ज सस्ता होगा और खपत बढ़ेगी इसका शेयर बाजार से लेकर अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर देखने को मिलेगा. हालांकि मांग बढ़ने का असर महंगाई पर भी देखने को मिलता है. भारत में महंगाई धीरे धीरे नियंत्रण में आ रही है लेकिन खाद्य महंगाई को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है. इसी वजह से रिजर्व बैंक गवर्नर ने साफ कहा है कि पॉलिसी पर फैसला लेते वक्त महंगाई के लंबी अवधि के ट्रैक को ध्यान में रखा जाएगा न कि एक या दो महीनों के आंकड़ों के आधार पर कदम उठाया जाएगा.
क्या होगा बाजार पर असर
पॉलिसी समीक्षा के फैसलों से रेट सेंसटिव स्टॉक्स यानि बैंक, ऑटो और रियल एस्टेट सेक्टर पर असर देखने को मिलता है क्योंकि इनकी आय कर्ज के सस्ते या महंगे होने से तय होती है. फिलहाल दरों के स्थिर रहने की संभावनाएं ज्यादा होने की वजह से बाजार इसी दिशा में रिस्पॉन्स कर रहा है. ऐसे में अगर रिजर्व बैंक अनुमानों से अलग हटकर दरों में कटौती का एलान करता है तो रेट सेंसटिव स्टॉक्स में बढ़त देखने को मिल सकती है क्योंकि दरें घटने से इन सेक्टर के लिए मांग बढ़ने की उम्मीद होगी.
वहीं ब्लूमबर्ग के सर्वे में शामिल 13 में से सिर्फ 3 ने दरें घटने का अनुमान दिया है और उम्मीद जताई है कि अक्टूबर में चौथाई फीसदी की कटौती हो सकती है.
क्या होगा दरों में कटौती का असर
दरों में बदलाव का सीधा असर कर्ज की दरों पर देखने को मिलता है. अगर दरें घटती हैं तो कर्ज सस्ता होगा और खपत बढ़ेगी इसका शेयर बाजार से लेकर अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर देखने को मिलेगा. हालांकि मांग बढ़ने का असर महंगाई पर भी देखने को मिलता है. भारत में महंगाई धीरे धीरे नियंत्रण में आ रही है लेकिन खाद्य महंगाई को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है. इसी वजह से रिजर्व बैंक गवर्नर ने साफ कहा है कि पॉलिसी पर फैसला लेते वक्त महंगाई के लंबी अवधि के ट्रैक को ध्यान में रखा जाएगा न कि एक या दो महीनों के आंकड़ों के आधार पर कदम उठाया जाएगा.
क्या होगा बाजार पर असर
पॉलिसी समीक्षा के फैसलों से रेट सेंसटिव स्टॉक्स यानि बैंक, ऑटो और रियल एस्टेट सेक्टर पर असर देखने को मिलता है क्योंकि इनकी आय कर्ज के सस्ते या महंगे होने से तय होती है. फिलहाल दरों के स्थिर रहने की संभावनाएं ज्यादा होने की वजह से बाजार इसी दिशा में रिस्पॉन्स कर रहा है. ऐसे में अगर रिजर्व बैंक अनुमानों से अलग हटकर दरों में कटौती का एलान करता है तो रेट सेंसटिव स्टॉक्स में बढ़त देखने को मिल सकती है क्योंकि दरें घटने से इन सेक्टर के लिए मांग बढ़ने की उम्मीद होगी.
(Disclaimer: शेयर बाजार में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है. निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें)
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