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Dabur Hajmola: हाजमोला कैंडी है या दवा? क्यों उठ रहा है ये सवाल

 

Dabur Hajmola: हाजमोला कैंडी है या दवा? क्यों उठ रहा है ये सवाल



डाबर की फेमस हाजमोला एक कैंडी है या फिर एक दवा..फिलहाल इस सवाल के जवाब की तलाश डायरेक्टरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस कर रही है. हाजमोला पर टैक्स तय करने के लिए इस सवाल का जवाब तलाशा जा रहा है. दरअसल आयुर्वेदिक औषधियों और कैंडी को अलग अलग टैक्स वर्गों में रखा गया है. वहीं हाजमोला की मार्केटिंग में स्वाद और पाचक गुण दोनों की बात की जाती है. इसी वजह से ये सवाल खड़ा हुआ है. इस मामले में एफएमसीजी कंपनी डाबर इंडिया ने अपना पक्ष रखते हुए तर्क दिया है कि भले ही हाजमोला को स्वाद दिया गया है लेकिन इसके औषधि वाले गुणों में कोई असर नहीं पड़ा है.


सूत्रों के मुताबिक, DGGI का कोयंबटूर जोन यह जांच कर रहा है कि हाजमोला को आयुर्वेदिक दवा माना जाए, जिस पर 12 फीसदी GST लागू होता है या फिर इसे कैंडी समझा जाए, जिस पर 18 फीसदी GST देना पड़ता है. सूत्र के मुताबिक जांच के दौरान डाबर ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि हाजमोला कोई आम कैंडी नहीं, बल्कि एक आयुर्वेदिक औषधि है. इसमें जीरा, हींग, पिप्पली और आमचूर जैसे आयुर्वेदिक घटक हैं, जो परंपरागत रूप से पाचन सुधारने के लिए उपयोग किए जाते हैं. वहीं हाजमोला आयुर्वेदिक लाइसेंस के तहत बनती और बिकती है. डाबर के मुताबिक इसको अच्छे स्वाद में पेश किए जाने से इसकी औषधीय क्षमताओं पर असर नहीं पड़ता

डाबर का कहना है कि जीएसटी से पहले सुप्रीम कोर्ट ने भी हाजमोला को आयुर्वेदिक औषधि माना था. फिलहाल इस मामले में कंपनी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. वहीं इससे अलग एक अन्य मामले में डाबर को टैक्स विभाग से टैक्स डिमांड नोटिस भी मिला है जिसके तहत वित्त वर्ष 2017-18 के लिए 110 करोड़ रुपये की टैक्स डिमांड की गई है. विभाग के मुताबिक इन हाउस रिसर्च एंड डेवलपमेंट से जुड़े टैक्स डिडक्शन को लेकर गलत दावे पर ही ये नोटिस दिया गया है. कंपनी इस फैसले को चुनौती देगी.


Disclaimer: शेयर बाजार में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है. निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.

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