Yes Bank Share Price : हिस्सा बिक्री के लिए जारी बातचीत अटकी? क्या है ये बड़ी खबर
Yes Bank Share Price : हिस्सा बिक्री के लिए जारी बातचीत अटकी? क्या है ये बड़ी खबर
Yes Bank Share News:- बैंक के हिस्सा बिक्री को लेकर जारी बातचीत के अटकने की आशंका है. मनीकंट्रोल ने सूत्रों के हवाले से मिली एक एक्सक्लूसिव खबर के जरिए जानकारी दी है कि जापान के दो प्रमुख बैंक एमयूएफजी और सुमीतोमो मित्सुई बैंकिंग कॉर्पोरेशन शायद अब हिस्सा खरीद में रुचि नहीं ले रहे हैं. दोनों ने पहले यस बैंक में बहुमत की हिस्सेदारी खरीदने में रुचि जताई थी. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया यस बैंक में अपनी 24 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का इच्छुक है. जिसके लिए चर्चा जारी थी. इस मामले के जानकार एक सूत्र ने मनीकंट्रोल को जानकारी दी कि सितंबर के बाद से इस मामले में दोनों संस्थानों से कोई बात नहीं हुई है और ऐसा लगता है कि फिलहाल बातचीत यहीं अटक गई है. इस मामले में शामिल लोगों के मुताबिक भारत में बैंको में नियंत्रण की हिस्सेदारी के नियमों को लेकर संभावित खरीदारों को कुछ आपत्तियां थी जिससे फिलहाल चर्चा अटक गई है.
क्या है मामला- भारत में एक बैंक के लिए किसी प्रमोटर के वोटिंग राइट्स की सीमा को 26 फीसदी रखा गया है. यानि बैंक में बहुमत की हिस्सेदारी खरीदने वाले भले ही 51 फीसदी या उससे ज्यादा हिस्सा खरीदे उसके पास वोटिंग राइट्स 26 फीसदी ही रहेंगे.Stocks to Watch Tomorrow: गुरुवार को इन शेयरों में दिखेगा असर, बाजार बंद होने के आई खबरें
माना जा रहा है कि ये एक अहम वजह रही है जिसका असर चर्चा पर पड़ा है. इससे पहले संभावित खरीदारों ने रिजर्व बैंक के सामने पक्ष रखकर नियमों में ढील देने की मांग की थी.
हालांकि रिजर्व बैंक ने राहत को लेकर कोई एलान नहीं किया है खबरों के मुताबिक केंद्रीय बैंक इसके पक्ष में नहीं है.
सूत्र ने कहा कि अगर वोटिंग राइट्स 26 फीसदी तक ही रहने हैं तो निवेशक 51 फीसदी हिस्सेदारी क्यों लेगा. वहीं अगर 51 फीसदी हिस्सेदारी नहीं ली जाती है तो बैंक खरीदारों की सब्सिडियरी नहीं बनेगा.
बैंकर्स के मुताबिक एसएमबीसी और एमयूएफजी की चिंता है कि कम हिस्सेदारी लेने से वो ग्रुप के फाइनेंशियल में यस बैंक को कैसे कंसोलिडेट करेंगे. इन सब वजहों से बातचीत अटक गई है. फिलहाल इस मामले में कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है.
मार्च 2020 में जब रिजर्व बैंक ने यस बैंक को मोराटोरियम के तहत रखा था एसबीआई की अगुवाई में कंसोर्शियम ने बैंक को वापस पटरी पर लाने के लिए 10 हजार करोड़ रुपये लगाए थे.
एसबीआई की यस बैंक में करीब 24 फीसदी की हिस्सेदारी है बैंक ने पहले दिसंबर 2024 या फिर मौजूद वित्त वर्ष के अंत तक यस बैंक की हिस्सेदारी बेचने का लक्ष्य रखा था. हालांकि अब आशंका है कि बिक्री समय सीमा के अंदर पूरी नहीं होगी.
बैंकर्स के मुताबिक एसएमबीसी और एमयूएफजी की चिंता है कि कम हिस्सेदारी लेने से वो ग्रुप के फाइनेंशियल में यस बैंक को कैसे कंसोलिडेट करेंगे. इन सब वजहों से बातचीत अटक गई है. फिलहाल इस मामले में कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है.
मार्च 2020 में जब रिजर्व बैंक ने यस बैंक को मोराटोरियम के तहत रखा था एसबीआई की अगुवाई में कंसोर्शियम ने बैंक को वापस पटरी पर लाने के लिए 10 हजार करोड़ रुपये लगाए थे.
एसबीआई की यस बैंक में करीब 24 फीसदी की हिस्सेदारी है बैंक ने पहले दिसंबर 2024 या फिर मौजूद वित्त वर्ष के अंत तक यस बैंक की हिस्सेदारी बेचने का लक्ष्य रखा था. हालांकि अब आशंका है कि बिक्री समय सीमा के अंदर पूरी नहीं होगी.
Disclaimer: शेयर बाजार में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है. निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.
Post a Comment