भारतीय बाजार में विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली- अगस्त में अबतक निकाल चुके है ₹18000 करोड़
भारतीय बाजार में विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली- अगस्त में अबतक निकाल चुके है ₹18000 करोड़
विदेशी निवेशकों (FPIs) ने अगस्त के महीने में भारतीय शेयर बाजार से भारी बिकवाली की है. आंकड़ों के अनुसार इस महीने अब तक भारतीय शेयर बाजारों से लगभग 18000 करोड़ रुपये निकाले हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि विदेशी निवेशकों पर अमेरिका-भारत ट्रेड टेंशन बढ़ने, वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही के कमजोर नतीजे और कमजोर भारतीय रुपये का असर दिख रहा है.
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इस साल अबतक ₹1.13 लाख करोड़ निकाले
इसके साथ ही डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार 2025 में अब तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) द्वारा इक्विटी से कुल आउटफ्लो 1.13 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार एंजल वन के सीनियर फंडामेंटल एनालिस्ट (CFA) वकारजावेद खान के का कहना है कि FPI सेंटीमेंट 'fragile and in risk-off mode' में रहने की संभावना है, जहां टैरिफ और ट्रेड वार्ता आने वाले हफ्ते में देखने लायक प्रमुख फैक्टर होंगे.
इस महीने 17924 करोड़ रुपये निकाले
इस साल अबतक ₹1.13 लाख करोड़ निकाले
इसके साथ ही डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार 2025 में अब तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) द्वारा इक्विटी से कुल आउटफ्लो 1.13 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार एंजल वन के सीनियर फंडामेंटल एनालिस्ट (CFA) वकारजावेद खान के का कहना है कि FPI सेंटीमेंट 'fragile and in risk-off mode' में रहने की संभावना है, जहां टैरिफ और ट्रेड वार्ता आने वाले हफ्ते में देखने लायक प्रमुख फैक्टर होंगे.
इस महीने 17924 करोड़ रुपये निकाले
आंकड़ों से पता चलता है कि एफपीआई ने इस महीने (8 अगस्त तक) इक्विटी से 17924 करोड़ रुपये निकाले हैं. जुलाई में विदेशी निवेशकों ने 17741 करोड़ रुपये की नेट बिकवाली की थी. इससे पहले मार्च से जून के बीच एफपीआई ने 38673 करोड़ रुपये का निवेश किया था.
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर-मैनेजर रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव ने बताया कि भारतीय बाजार से बिकवाली का मुख्य कारण अमेरिका-भारत के बीच बढ़ता व्यापार तनाव, पहली तिमाही के निराशाजनक कॉर्पोरेट नतीजे और कमजोर भारतीय रुपया रहा.
भारत पर 50 फीसदी का भारी टैरिफ
1 अगस्त से अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर 25 फीसदी टैरिफ लगाया और मौजूदा हफ्ते के दौरान इन टैरिफ को अतिरिक्त 25 फीसदी बढ़ा दिया. एंजल वन के वकारजावेद खान के अनुसार, इसने बाजार और एफपीआई को झटका दिया, जिससे भारतीय इक्विटी में भारी बिकवाली हुई.
उन्होंने आगे कहा कि टैरिफ के साथ-साथ, अमेरिका में ट्रेजरी यील्ड में बढ़ोतरी ने भी विदेशी रकम को ट्रेजरी की ओर खींचा. वहीं समीक्षा अवधि के दौरान एफपीआई ने डेब्ट जनरल लिमिट में 3432 करोड़ रुपये और डेब्ट वॉलंटरी रिटेंशन रूट में 58 करोड़ रुपये का निवेश किया.
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर-मैनेजर रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव ने बताया कि भारतीय बाजार से बिकवाली का मुख्य कारण अमेरिका-भारत के बीच बढ़ता व्यापार तनाव, पहली तिमाही के निराशाजनक कॉर्पोरेट नतीजे और कमजोर भारतीय रुपया रहा.
भारत पर 50 फीसदी का भारी टैरिफ
1 अगस्त से अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर 25 फीसदी टैरिफ लगाया और मौजूदा हफ्ते के दौरान इन टैरिफ को अतिरिक्त 25 फीसदी बढ़ा दिया. एंजल वन के वकारजावेद खान के अनुसार, इसने बाजार और एफपीआई को झटका दिया, जिससे भारतीय इक्विटी में भारी बिकवाली हुई.
उन्होंने आगे कहा कि टैरिफ के साथ-साथ, अमेरिका में ट्रेजरी यील्ड में बढ़ोतरी ने भी विदेशी रकम को ट्रेजरी की ओर खींचा. वहीं समीक्षा अवधि के दौरान एफपीआई ने डेब्ट जनरल लिमिट में 3432 करोड़ रुपये और डेब्ट वॉलंटरी रिटेंशन रूट में 58 करोड़ रुपये का निवेश किया.
Disclaimer: शेयर बाजार में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है. निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें।

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