India-US Trade Tariff:- ट्रंप! ने किया 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाने का ऐलान, इन चीजों पर पड़ेगा सीधा असर
India-US Trade Tariff:- बौखलाए ट्रंप! ने किया 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाने का ऐलान, इन चीजों पर पड़ेगा सीधा असर
India-US Trade Tariff: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर से भारत के ऊपर 'टैरिफ बम' फोड़ने का ऐलान कर दिया है. बुधवार, 6 अगस्त, 2025 को ट्रंप ने एक विशेष कार्यकारी आदेश (Executive Order) पर हस्ताक्षर कर भारत से अमेरिका आने वाले सभी सामानों पर 25% का अतिरिक्त टैरिफ (आयात शुल्क) लगा दिया है. यह पहले से लगे टैरिफ के ऊपर लगाया गया है, जिससे अब भारत से निर्यात होने वाले कई सामानों पर कुल टैरिफ लगभग 50% तक पहुंच सकता है. ट्रंप ने अपने इस कड़े और अचानक लिए गए फैसले के पीछे की वजह भारत द्वारा रूस-यूक्रेन युद्ध के बावजूद लगातार रूसी तेल खरीदना बताया है.
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क्यों लिया ट्रंप ने यह फैसला?
आदेश में मार्च 2022 के उस पुराने आदेश का जिक्र है, जिसमें रूस की हरकतों को देखते हुए एक राष्ट्रीय आपातकाल घोषित किया गया था और रूसी तेल के आयात पर प्रतिबंध लगाया गया था.
भारत पर सीधा आरोप:
ट्रंप ने अपने नए आदेश में कहा है, "मुझे यह जानकारी मिली है कि भारत सरकार सीधे या परोक्ष रूप से रूसी संघ का तेल आयात कर रही है." उन्होंने इसे अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को कमजोर करने वाला कदम माना है
जब कोई एक देश, दूसरे देश से आने वाले सामान पर टैक्स लगाता है, तो उसे टैरिफ कहते हैं. इससे उस देश में वह सामान महंगा हो जाता है.
क्या हुआ है? अमेरिका ने भारत से आने वाले हर सामान पर 25% का एक्स्ट्रा टैक्स लगा दिया है.
उदाहरण: मान लीजिए, भारत का बना कोई शर्ट अमेरिका में 1000 रुपये का बिकता था और उस पर पहले से 25% (250 रुपये) का टैरिफ था. तो अब उस पर 25% (250 रुपये) का और टैक्स लगेगा. यानी अब वही शर्ट अमेरिका में 1500 रुपये का हो जाएगा. यह अतिरिक्त टैरिफ आदेश पर हस्ताक्षर होने के 21 दिन बाद से लागू हो जाएगा.
MEA ने दी पहली प्रतिक्रिया
MEA ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, हाल के दिनों में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने रूस से भारत के तेल आयात को निशाना बनाया है. हमने इन मुद्दों पर अपनी स्थिति पहले ही स्पष्ट कर दी है, जिसमें यह तथ्य भी शामिल है कि हमारे आयात बाज़ार के कारकों पर आधारित हैं और भारत के 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के समग्र उद्देश्य से किए जाते हैं.
इसलिए, यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि अमेरिका ने भारत पर उन कार्यों के लिए अतिरिक्त शुल्क लगाने का विकल्प चुना है जो कई अन्य देश भी अपने राष्ट्रीय हित में कर रहे हैं. हम दोहराते हैं कि ये कदम अनुचित, अनुचित और अविवेकपूर्ण हैं. भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा.
भारत पर क्या होगा इसका असर? किन चीजों पर पड़ेगी मार?
यह फैसला भारत के लिए एक बड़े आर्थिक तूफान से कम नहीं है. भारत अमेरिका को भारी मात्रा में सामान निर्यात करता है. अब इन सभी चीजों की कीमतें अमेरिका में बढ़ जाएंगी, जिससे इनकी मांग घट सकती है.
कपड़ा और रेडीमेड गारमेंट्स:भारत के टेक्सटाइल उद्योग पर इसकी भारी मार पड़ सकती है. अमेरिका भारतीय कपड़ों का एक बहुत बड़ा बाजार है.
गहने और रत्न:हीरे और सोने के गहनों के निर्यात पर भी बुरा असर पड़ेगा.
इंजीनियरिंग का सामान और ऑटो पार्ट्स: भारत से जाने वाले ऑटो पार्ट्स और मशीनरी के सामान भी महंगे हो जाएंगे.
मसाले और कृषि उत्पाद:भारतीय मसाले और अन्य कृषि उत्पादों के निर्यातकों के लिए भी मुश्किलें बढ़ जाएंगी.
लाखों नौकरियों पर खतरा:जब निर्यात घटेगा, तो इसका सीधा असर उन फैक्ट्रियों और कंपनियों पर पड़ेगा जो यह सामान बनाती हैं. इससे लाखों नौकरियों पर भी खतरा मंडरा सकता है.
ट्रंप ने दी चेतावनी: जवाब दिया तो और कड़े कदम उठाएंगे
इस आदेश में ट्रंप ने यह भी साफ कर दिया है कि वह इस मामले में कोई नरमी बरतने के मूड में नहीं हैं.
जवाबी कार्रवाई पर नजर:आदेश में लिखा है कि अगर कोई देश (यानी भारत) इस फैसले के खिलाफ कोई जवाबी कार्रवाई करता है, तो राष्ट्रपति इस आदेश को और भी कड़ा कर सकते हैं.
दूसरे देशों पर भी नजर:अमेरिकी वाणिज्य सचिव को यह निगरानी करने का भी आदेश दिया गया है कि कौन-कौन से दूसरे देश रूस से तेल खरीद रहे हैं, ताकि उन पर भी इसी तरह की कार्रवाई करने की सिफारिश की जा सके.
निष्कर्ष (Conclusion)
डोनाल्ड ट्रंप का यह 'टैरिफ बम' भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक और आर्थिक चुनौती है. यह फैसला ऐसे समय में आया है जब पूरी दुनिया पहले से ही आर्थिक अनिश्चितताओं से जूझ रही है. भारत को अब एक साथ कई मोर्चों पर लड़ना होगा. एक तरफ उसे अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए रूस के साथ संबंधों को संतुलित करना होगा, तो वहीं दूसरी तरफ अपने सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक, अमेरिका के साथ इस टैरिफ युद्ध को टालने के लिए रास्ता खोजना होगा. आने वाले 21 दिन भारतीय कूटनीति और व्यापार के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होंगे. इस फैसले का असर न केवल बड़े कारोबारियों पर, बल्कि परोक्ष रूप से देश के हर आम नागरिक पर पड़ सकता है.
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
सवाल 1: यह नया टैरिफ कब से लागू होगा?
जवाब: यह कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर होने की तारीख से 21 दिन बाद लागू हो जाएगा. हालांकि, जो जहाज पहले से रास्ते में हैं, उन पर कुछ शर्तों के साथ छूट मिल सकती है.
सवाल 2: क्या यह टैरिफ भारत के सभी सामानों पर लगेगा?
जवाब: जी हाँ, आदेश के अनुसार यह "articles of India" यानी भारत के सभी उत्पादों पर लागू होगा, जब तक कि किसी विशेष कानून के तहत उन्हें छूट न दी गई हो.
सवाल 3: भारत सरकार अब क्या कर सकती है?
जवाब: भारत सरकार के पास कई विकल्प हैं. वह अमेरिका के साथ कूटनीतिक स्तर पर बातचीत कर सकती है, विश्व व्यापार संगठन (WTO) जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को उठा सकती है, या जवाबी कार्रवाई के तौर पर अमेरिका से आने वाले सामानों पर भी टैरिफ लगा सकती है.
सवाल 4: क्या इससे अमेरिका में महंगाई बढ़ेगी?
जवाब: हाँ, बिल्कुल. जब भारत से आने वाला सामान महंगा होगा, तो उसका बोझ अंततः अमेरिकी उपभोक्ताओं पर ही पड़ेगा, जिससे वहां भी महंगाई बढ़ सकती है.
सवाल 5: "परोक्ष रूप से तेल आयात" का क्या मतलब है?
जवाब: इसका मतलब है कि अगर भारत किसी तीसरे देश के जरिए भी ऐसा तेल खरीदता है, जिसके बारे में यह पता लगाया जा सके कि वह मूल रूप से रूस का है, तो उसे भी रूसी तेल का आयात ही माना जाएगा.

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