Suzlon Share Price: अमेरिका से आई खबर के बाद दुनिया की सबसे बड़ी विंड एनर्जी के शेयर में आई भयानक गिरावट
Suzlon Share Price: अमेरिका से आई खबर के बाद दुनिया की सबसे बड़ी विंड एनर्जी के शेयर में आई भयानक गिरावट
सोमवार को ट्रेडिंग की शुरुआत होते ही डेनमार्क की विंड फार्म कंपनी Orsted के शेयरों में जोरदार गिरावट देखने को मिली. कंपनी का शेयर 17% टूटकर रिकॉर्ड लो पर पहुंच गया. वजह – अमेरिका सरकार का अचानक से Revolution Wind Project पर रोक लगाने का आदेश.अमेरिका की Bureau of Ocean Energy Management ने शुक्रवार देर रात आदेश दिया कि Rhode Island के पास बन रहे Revolution Wind Project पर काम रोक दिया जाए.यह प्रोजेक्ट 80% पूरा हो चुका है, और 65 में से 45 टरबाइन पहले ही लग चुके हैं.Orsted ने कहा कि वह आदेश का पालन करेगी, लेकिन आगे बढ़ने के लिए विकल्प तलाश रही है. यहां आपको सिर्फ और सिर्फ जानकारी दी जा रही है कोई फैसला लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय लें.
Orsted इस वक्त कैपिटल जुटाने की कोशिश में है. कंपनी ने हाल ही में 60 अरब डेनिश क्रोनर (करीब $9.4 अरब) के राइट्स इश्यू का ऐलान किया था.
अब अमेरिकी प्रोजेक्ट पर रोक से यह प्लान दबाव में आ सकता है.कंपनी ने सोमवार को दोहराया कि वह राइट्स इश्यू पर आगे बढ़ेगी और उसे डेनिश सरकार (जो बड़ी हिस्सेदारी रखती है) का समर्थन भी है.
एनालिस्ट्स की चेतावनी
Sydbank के हेड ऑफ इक्विटी रिसर्च जैकब पीडरसन ने कहा कि इस आदेश का वित्तीय असर बहुत बड़ा हो सकता है.बेस्ट केस: सिर्फ प्रोजेक्ट रुकेगा और खर्च बढ़ेगा.
अब अमेरिकी प्रोजेक्ट पर रोक से यह प्लान दबाव में आ सकता है.कंपनी ने सोमवार को दोहराया कि वह राइट्स इश्यू पर आगे बढ़ेगी और उसे डेनिश सरकार (जो बड़ी हिस्सेदारी रखती है) का समर्थन भी है.
एनालिस्ट्स की चेतावनी
Sydbank के हेड ऑफ इक्विटी रिसर्च जैकब पीडरसन ने कहा कि इस आदेश का वित्तीय असर बहुत बड़ा हो सकता है.बेस्ट केस: सिर्फ प्रोजेक्ट रुकेगा और खर्च बढ़ेगा.
वर्स्ट केस: अगर यह प्रोजेक्ट कभी पूरा ही नहीं हुआ तो Orsted को बड़ी राइट-डाउन (डबल-डिजिट अरब क्रोनर) और कॉन्ट्रैक्ट से बाहर निकलने की भारी लागत झेलनी पड़ेगी.इसका मतलब है कि कंपनी को 60 अरब क्रोनर से कहीं ज्यादा फंड जुटाना पड़ सकता है.
निवेशकों के लिए क्या मायने-शेयर का रिकॉर्ड लो पर पहुंचना साफ संकेत है कि मार्केट में भरोसा डगमगा गया है.अगर प्रोजेक्ट फिर से शुरू हुआ तो Orsted को राहत मिल सकती है, लेकिन अनिश्चितता बनी रहेगी.शॉर्ट टर्म में शेयर में तेज उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है.लॉन्ग टर्म निवेशक तब तक सतर्क रहें जब तक प्रोजेक्ट और फंड रेजिंग दोनों पर स्पष्ट तस्वीर सामने न आ जाए.Orsted फिलहाल एक मुश्किल मोड़ पर खड़ा है – एक तरफ अमेरिकी प्रोजेक्ट अटका हुआ है, दूसरी तरफ कंपनी को तगड़ा फंड चाहिए. ऐसे में निवेशकों को सतर्क रहना होगा क्योंकि छोटे से भी फैसले का शेयर पर बड़ा असर पड़ सकता है.
Orsted के मामला का Suzlon से कोई संबंध नहीं है- Orsted एक ग्लोबल जायंट है जो अमेरिका और यूरोप में बड़े-बड़े विंड प्रोजेक्ट्स बना रही है.Suzlon Energy भारत की डोमेस्टिक पावर प्लेयर है, जो मुख्य रूप से भारत में टर्बाइन बनाती और प्रोजेक्ट्स इंस्टॉल करती है.यानी Orsted का संकट ग्लोबल पॉलिसी और प्रोजेक्ट डिले से जुड़ा है, जबकि Suzlon का बिज़नेस भारतीय पॉलिसी और मांग पर निर्भर है.
Suzlon पर शॉर्ट टर्म असर-ग्लोबल मार्केट में अगर विंड एनर्जी सेक्टर पर नेगेटिव सेंटिमेंट आता है तो Suzlon जैसे शेयरों पर भी दबाव दिख सकता है.निवेशक सोच सकते हैं कि विंड एनर्जी प्रोजेक्ट्स दुनिया भर में अनिश्चितता झेल रहे हैं, जिससे इंडस्ट्री का सेंटिमेंट कमजोर हो सकता है.
भारत सरकार ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए लगातार बड़े कदम उठा रही है — RE capacity 500 GW तक पहुंचाने का लक्ष्य, PLI स्कीम और राज्यों में विंड पावर टेंडर.Suzlon को ऑर्डर बुक और डोमेस्टिक डिमांड का मजबूत सपोर्ट है.Orsted का संकट डेनमार्क और अमेरिका से जुड़ा है, इसलिए इसका Suzlon की ग्रोथ स्टोरी पर लॉन्ग टर्म में बड़ा असर नहीं होगा.

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